उपन्यास >> काया स्पर्श काया स्पर्शद्रोणवीर कोहली
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प्रतिष्ठित कथाकार द्रोणवीर कोहली का यह नया उपन्यास एक अछूती समस्या को उठाता है
ग्यारह प्रकाशित उपन्यासों के प्रतिष्ठित कथाकार द्रोणवीर कोहली का यह नया उपन्यास एक अछूती समस्या को उठाता है- कतिपय आधुनिक एवं धनाढ्य परिवारों में लड़के-लड़कियों की समस्या जो भौतिक सुख-सुविधाओं के बावजूद स्नेह-सौहार्द के अभाव में मन रोगी हो जाते हैं। उनकी चिकित्सा और देख-भाल के लिए उनके पास ढेरों धन तो हैं, लेकिन ‘समय’ नामक अमूल धन जो उनके पास मौजूद है, उसे वह अपने बच्चों पर व्यय करना जानते ही नहीं, जिसके परिणामस्वरूप इन बच्चों का सही उपचार नहीं हो पाता और अन्त में त्रासदी शेष रह जाती है।
लेखक ने इस स्थिति का बारीकी से अध्ययन किया है और बड़ी कुशलता से ‘हृदय’ ‘सुगति’, ‘इक्ष्वाकु’ अर्थात ‘इच्छू बाबा’, ‘काया’ जैसे सीमित चरित्रों को परत-दर-परत खोल कर रख दिया है - किसी मनोचिकित्सक के बौद्धिक व्यायाम की तरह नहीं, किसी संवेदनशील कथाकार की भांति।
द्रोणवीर कोहली के इस उपन्यास की बड़ी विशेषता यह भी है कि प्रकाशन से पूर्व इन्होंने अपनी सम्पूर्ण पांडुलिपि प्रसिद्ध क्लिनिकल मनोचिकित्सक डॉ. नीरजा कुमार को दिखाई थी। नीरजा को अचानक अमेरिका जाना पड़ा जिस कारण उपन्यास प्रकाशन में विलम्ब हुआ। लेकिन उन्होंने उपन्यास के अन्तिम अंश के बारे में जो अपने विचार वहाँ से भेजे, लेखक ने उन्हें सहर्ष स्वीकार किया है। इन्हें पुस्तक के अन्त में ‘अनुबोध’ शीर्षक से सम्मिलित कर लिया है।
लेखक ने इस स्थिति का बारीकी से अध्ययन किया है और बड़ी कुशलता से ‘हृदय’ ‘सुगति’, ‘इक्ष्वाकु’ अर्थात ‘इच्छू बाबा’, ‘काया’ जैसे सीमित चरित्रों को परत-दर-परत खोल कर रख दिया है - किसी मनोचिकित्सक के बौद्धिक व्यायाम की तरह नहीं, किसी संवेदनशील कथाकार की भांति।
द्रोणवीर कोहली के इस उपन्यास की बड़ी विशेषता यह भी है कि प्रकाशन से पूर्व इन्होंने अपनी सम्पूर्ण पांडुलिपि प्रसिद्ध क्लिनिकल मनोचिकित्सक डॉ. नीरजा कुमार को दिखाई थी। नीरजा को अचानक अमेरिका जाना पड़ा जिस कारण उपन्यास प्रकाशन में विलम्ब हुआ। लेकिन उन्होंने उपन्यास के अन्तिम अंश के बारे में जो अपने विचार वहाँ से भेजे, लेखक ने उन्हें सहर्ष स्वीकार किया है। इन्हें पुस्तक के अन्त में ‘अनुबोध’ शीर्षक से सम्मिलित कर लिया है।
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